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डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रति —- १५,अप्रेल ,१९६४,
लोहिया तुम हो लौह परुष
जनता के सच्चे पथ दर्शक
जनता के दिल की कहते हो
जनता की भाषा के रक्षक .

स्वराज क्या पूर्ण हे अपना
स्वभाषा जब तक यहाँ न हो
गिलगित चितराल और मानसरोवर
पूरा ‘ नेफा ‘पास न हो

तीन दैनिक मजदूरी पर
समाजवाद यह कैसा है
निर्धन अशिक्षित लोगों का
आज़ाद देश यह कैसा है .

तुम लोकराज की खातिर ही ,
निकले घहर से पहुंचे दर -दर
भारत का गौरव बढ़ा दिया
हिंदी में भाषण दे दे कर .

डॉ. परमानन्द पांचाल